मेरी माँ |
माँ से दूर जाकर ही ये बात समज मे आई है,
माँ तेरी हर बात मे सच्चाई है।
जब भी तू मुझे रोकती थी या टोकती थी,
मुझे ये कभी पसंद नहीं आता था,
मुझे तेरे पे बड़ा गुस्सा आता था,
मेरी लाइफ है मैं कुछ भी करू।
हाँ मैं जानता था कि,
कभी-कभी या तो सभी बातों मे तू सही थी,
पर मैं भी तो तेरे जैसा ही था,
मैं तेरी क्यों सुनता।
पर आज जब तेरे से दूर हूँ तो समज मे आया है,
माँ मैंने तुझे काफी सताया है,
तुझसे बहोत प्यार किया पर कभी नही बताया है।
शायद तब मैं शरमाता था,
तेरा बनाया खाना सब से अच्छा है,
ये मैं तेरे अलावा सब को बताता था।
माँ तुने मुझे जो प्यार दिया,
वो कभी वापस नहीं लौटा पाऊँगा।
माँ तेरी कोई बात आज भी जब याद आती है,
मुझे उसकी सच्चाई का एहसास करा जाती है।
माँ, तुजसे दूर जाकर ही ये बात समज मे आई है,
माँ तेरी हर बात मे सच्चाई है।